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अमरनाथ यात्रा में नया मंत्र- बोल बम, यात्रा मार्ग को कचरा मुक्त रखेंगे हम

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Zero landfill Amarnath Yatra: 3 जुलाई से श्री अमरनाथ यात्रा शुरू हो गई है।

अमरनाथ यात्रा श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। श्रद्धा और आस्था में अब स्वच्छता भी जुड़ गया है। अब श्रद्धालु एक नया मंत्र गुनगुना रहे हैं। बोल बम, पर्यावरण को कचरा मुक्त रखेंगे हम।

इस पवित्र यात्रा में पर्यावरण और स्वच्छता को जोड़ा है इंदौर के स्टार्टअप स्वाहा ने।

जीरो लैंड फील (कचरा मुक्त ) यात्रा की सोच को हकीकत में बदल रहा है स्वाहा।

स्वाहा पिछले चार वर्षों से अमरनाथ यात्रा मार्ग को कचरा मुक्त बना रहा है।

करीब 550 टन कचरा निकलने का अनुमान

जम्मू कश्मीर के डायरेक्टरेट ऑफ़ रूरल सैनिटेशन द्वारा यह कार्य स्वाहा को सौंपा गया है!

इस बार यात्रा मार्ग में करीब 550 टन कचरा निकलने का अनुमान है।

आरडीडी और पंचायती राज के सेक्रेटरी आईएएस श्री एजाज असद और डायरेक्टरेट ऑफ़ रूरल सनिटेशन की डीजी श्रीमती अनू मल्होत्रा ने बताया किपिछली कई यात्राओं से यात्री बड़ी संख्या में पहाड़ियों पर टनों से कचरा छोड़ते आ रहे थे।

चार साल में बदली तस्वीर

पिछले चार साल में इस तस्वीर को बदला है। अब यात्रा के बाद पूरा अमरनाथ यात्रा मार्ग कचरा मुक्त दिखता है।

इंदौर के स्टॉर्टअप स्वाहा टीम ने इस काम को किया है।

अब यात्रा मार्ग की पहाड़ियां और नदिया प्लास्टिक और गंदगी के मुक्त है।

स्वाहा के सह संस्थापक समीर शर्मा ने बताया कि ये लगातार चौथा वर्ष है जब पहाड़ों और घाटियों की सफाई के लिए जम्मू और कश्मीर के युवाओं साथ मिलकर इस मिशन को सफल बनाने के संकल्प पर स्वाहा जुटा हुआ है।

इस अभियान का लक्ष्य है शून्य अपशिष्ट यात्रा। यानि यात्रा के बाद कोई अपशिष्ट बचा न दिखे।

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स्वाहा के संस्थापकों में दो आईआईटीयन 

स्वाहा के संस्थापकों में दो आईआईटीयन है ज्वलंत शाह और रोहित अग्रवाल।

रोहित ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती लंगरों से निकलने वाले फ़ूड वेस्ट की थी।

लंगर वाले अपने यहाँ निकला जूठन और दूसरे कचरे को या तो पहाड़ी में डाल देते थे या नदी में प्रवाहित कर देते थे।

इससे निपटने के लिए लंगरों को स्वाहा कि टीम प्रशिक्षण दे रही है कि कचरे को सेग्रीगेट करें ताकि उसकी खाद बनाई जा सके।

स्वाहा मिक्स कचरे का कलेक्शन नहीं करेगी। इससे सोर्स से ही गीला और सूखा कचरा अलग किया जा रहा है।

ज्वलंत ने बताया कि आने वाले यात्रियों को जागरूक किया जा रहा है।

यात्रा में निःशुल्क कपड़ों के थैलों को बेस कैंप से गुफा तक बांटा जा रहा है।

इससे सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कम से कम रहे।

यात्रा 2025 में स्वाहा के नए पर्यावरण प्रेमी प्रयोग

– देशभर में स्वच्छता और सतत विकास के लिए कार्यरत इंदौर आधारित स्टार्टअप स्वाहा ने इस वर्ष अमरनाथ यात्रा में एक अनोखी पहल की है।

स्वाहा ने एक ऐसी मशीन विकसित की है जो बिना बिजली के मैकेनिकल पैडल से चलती है। एक तरह से ये साइकिल की तरह ही है।

– जीरो अपशिष्ठ लैंडफिल अभियान सिर्फ सफाई और स्वच्छता तक सीमित नहीं है बल्कि स्वाहा स्थानीय कश्मीरी युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें पर्यावरण संरक्षण अभियान में शामिल कर रोजगार देने का काम भी कर रही है।

– स्वाहा के सह संस्थापक समीर शर्मा ने बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य सिर्फ कचरे का निपटान नहीं बल्कि यात्रियों की सोच में बदलाव लाना है। ताकि अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालु खुद जिम्मेदारी समझें और प्लास्टिक का उपयोग न करें।

– अमरनाथ यात्रा के दौरान स्वाहा की योजना लगभग 550 टन कचरा प्रोसेस करने की है। जिसमें मुख्य ध्यान प्लास्टिक की बोतलों और पाऊच पर है।

यात्रियों को प्रेरित किया जायेगा कि वे स्टील की बोतलें साथ लाएं और कपडे का थैला साथ रखें।

– स्वाहा के इंजीनियर द्वारा बनाइए गई यह मशीन, स्वाहा की तकनीकी टीम और स्थानीय युवाओं की प्रतिबद्धता इस बात क उदाहरण है कि भारत कैसे पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान अपने संसाधनों और संकल्प से खोज रहा है।

कैसे बनी स्वच्छ यात्रा

– जम्मू कश्मीर ( Jammu and Kashmir) प्रशासन द्वारा अमरनाथ यात्रा को जीरो वेस्ट बनाने की मुहिम पर पिछले चार वर्षों से स्वाहा के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। जिसके चलते जम्मू कश्मीर के रूरल डेवलपमेंट विभाग ने कचरा मुक्त तीर्थयात्रा को अभियान बनाया।

स्थानीय प्रशासन व अधिकारियों द्वारा स्वच्छ भारत मिशन की तर्ज पर कचरा मुक्त तीर्थयात्रा का काम चलाया जा रहा है।

-इस अभियान के तहत यात्रियों को प्लास्टिक और पॉलिथीन ले जाने से रोका जा रहा है।

– यात्रा मार्ग में कचरे को उठाने और उसके निपटान की पूरी मशीनरी लगाई गई है।

– यात्रा मार्ग से मात्र 2 से तीन घंटे में पूरा कचरा जमा कर उसे रिसाइकिल किया जाने का इंतजाम है।

इस अभियान का उद्देश्य पहाड़, वनस्पति और ग्लेशियर को बचाना है।

अमरनाथ यात्रा में निकले कचरे से कमाल यानी वेस्ट से बेस्ट

– स्वाहा संस्था स्थानीय युवकों को ट्रेंड कर कचरे को एकत्र करके रिसाइकिल करती है।

–कचरे से बनी खाद किसानों और इलाके की नगर परिषद को भेजती है।

-इसके लिए स्पॉट पर ही सेग्रीगेशन (प्लास्टिक अलग कर आर्गेनिक कचरे को अलग किया जाता है) और प्रोसेसिंग यूनिट लगाई गई है।

– लंगरों से निकलने वाले गीले कचरे से बालटाल और पहलगाम में ही आर्गेनिक खाद बनाकर उसके पैकेट श्रद्धालुओं में बांटे जाएंगे।

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