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MP हाईकोर्ट के फैसले से अतिथि शिक्षकों को राहत, बिना अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड कर सकेंगे आवेदन

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MP Guest Teachers: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अतिथि शिक्षकों के लिए एक और राहत भरा फैसला सुनाया है।

अदालत ने अतिथि शिक्षकों को बिना अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड किए आवेदन करने की अनुमति दी है।

हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि अनुभव प्रमाण पत्र आवेदन के समय अनिवार्य नहीं होगा।

इस फैसले से जहां हजारों अभ्यर्थियों को राहत मिली है।

वहीं, भर्ती प्रक्रिया अब ज्यादा पारदर्शी और न्यायसंगत होगी।

जाने क्या था पूरा मामला ?

अतिथि शिक्षकों को दस्तावेज़ सत्यापन के समय ही अपना अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा, जैसा कि पूर्व की भर्तियों में होता आया है।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने यह फैसला सिवनी निवासी सुनीता कटरे, कृष्णकांत शर्मा और अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनाया।

जो हजारों अतिथि शिक्षकों के लिए राहत भरी है और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

बता दें साल 2018 और 2023 की शिक्षक भर्ती में दस्तावेज सत्यापन के दौरान अनुभव प्रमाण पत्र मांगा जाता था।

उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती और प्राथमिक शिक्षक भर्ती में काउंसलिंग के समय 200 दिन और तीन सत्रों का अतिथि शिक्षक अनुभव प्रमाण पत्र मांगा जाता था।

लेकिन, इस बार माध्यमिक और प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा 2025 के लिए ईएसबी (कर्मचारी चयन मंडल) के पोर्टल पर आवेदन के समय ही अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड करने की अनिवार्यता कर दी गई थी।

जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया।

न्यायालय के फैसले का किसे मिलेगा लाभ ?

माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति द्वारिकाधीश बंसल की एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए भर्ती प्रक्रिया को याचिका के अधीन कर दिया।

अदालत ने यह स्पष्ट किया कि अतिथि शिक्षकों को बिना अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड किए केवल “YES” विकल्प चुनकर आवेदन करने की अनुमति होगी।

इस फैसले का लाभ उन अतिथि शिक्षकों को मिलेगा जो 200 दिवस और तीन सत्रों की न्यूनतम अनुभव शर्त को पूरा कर रहे हैं।

लेकिन, उनका प्रमाण पत्र दस्तावेज़ सत्यापन के समय ही उपलब्ध होगा।

साथ ही वे अभ्यर्थी जो इस नई अनिवार्यता के कारण आवेदन नहीं कर पा रहे थे, अब वे बिना प्रमाण पत्र अपलोड किए आवेदन कर सकेंगे।

वहीं, कोर्ट के इस फैसले से भर्ती प्रक्रिया अधिक न्यायसंगत होगी और योग्य अभ्यर्थियों को अवसर मिलेगा।

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