नई दिल्ली। लंबे समय से असंतुष्ट और बीजेपी की लाइन के विपरीत चल रहे वरुण गांधी का इस बार लोकसभा चुनाव में टिकट कट चुका है। अब सवाल ये है कि वे अपना राजनीतिक भविष्य कहां गढ़ने वाले हैं।
सियासी गलियारों में इस तरह की बात फैली हुई है कि उनके स्वर्गीय पिता संजय गांधी की सीट रही अमेठी से वे भाग्य आजमा सकते हैं। ऐसी खबरें तैर रही हैं कि वरुण गांधी को अमेठी की पिच पर बैटिंग करने कांग्रेस और सपा लामबंदी कर रही हैं।
अंदरखाने खबर ये भी है कि वरुण गांधी ने मोदी के खिलाफ जाने की हिम्मत जुटा ली है। वे बहन प्रियंका गांधी और भाई राहुल गांधी से सार्वजनिक रूप से गले मिलेंगे, लेकिन इसमें उनकी मां मेनका गांधी की सहमति का इंतजार है।
मेनका गांधी और सोनिया गांधी में अदावत किसी से छिपी नहीं है। 1984 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी ने राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
अब अमेठी के सियासी गलियारों में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात की है कि वरुण गांधी कभी अपने पिता की लोकसभा सीट रही अमेठी में निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं।
अमेठी लोकसभा क्षेत्र के स्थानीय लोग वरुण गांधी को पत्र लिख कर और मुलाकात कर चुनाव लड़ने की अपील भी कर चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी 1977 में अमेठी से पहला चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे।
अमेठी से चार गांधी चुनाव हार चुके हैं – संजय गांधी, मेनका गांधी, राजमोहन गांधी और राहुल गांधी। संजय गांधी, मेनका गांधी और राजमोहन गांधी अपना पहला चुनाव हारे थे, लेकिन राहुल गांधी अमेठी में तीन बार सांसद चुने जाने के बाद चौथा चुनाव हारे थे।
राहुल गांधी को बीजेपी की स्मृति ईरानी ने परास्त कर केरल की वायनाड सीट पर शिफ्ट कर दिया था, लेकिन इस बार गांधी परिवार फिर अपनी परंपरागत सीट को कब्जाने की तिकड़म भिड़ा रहा है।
लेकिन, सवाल यही है कि यदि वरुण गांधी अमेठी से चुनाव लड़ते हैं तो क्या बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी के सामने टिक पाएंगे?