ये वो बागी हैं जो खुलकर बीजेपी और कांग्रेस को चुनौती दे रहे हैं। इसके अलावा भी दोनों दलों में ऐसे छुपे रुस्तम मौजूद हैं जो टिकट ना मिलने से असंतुष्ट हैं। चुनाव में ये भी भितरघाती का किरदार निभा रहे हैं, लेकिन कोई कितना ही दम लगा ले। जनता-जनार्दन जिस प्रत्याशी पर भरोसा जताएगी विजय उसकी होगी।
लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 21 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर शुक्रवार (19 अप्रैल) को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक हुई वोटिंग में 68.29 फीसदी लोगों ने ही मतदान किया।
शादी के सीजन से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी क्यों परेशान हैं, चुनाव आयोग भी चिंतित है क्या, 'शुभ मंगल सावधान' कैसे चुनाव को प्रभावित कर रहा है। देखिए ये खास रिपोर्ट...
राज्य की 5 सीटों पर कांग्रेस के लिए राजनीतिक पंडितों का अनुमान बीजेपी का टारेगट से उलट है, जैसा कि बीजेपी 370 और एनडीए 400 पार का नारा लगा रही है, लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है।
पंडित द्वारा बताए गए शुभ मुहूर्त 12:31 से 1:00 बजे के बीच दाखिल किया नामांकन, मीडिया से चर्चा में कहा कि पूर्व में विधानसभा चुनाव में वर्तमान भाजपा प्रत्याशी को हराया था, इस बार लोकसभा चुनाव में भी हराएंगे।
साइबर सेल के एसपी वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि आरोपी की फर्जी वेबसाइट से कोई भी व्यक्ति अन्य का फोटो, नाम, पता, हस्ताक्षर एवं अन्य जानकारी का उपयोग कर फर्जी दस्तावेज बनवा सकता था। पुलिस के अनुसार आरोपी मूलत: पूर्वी चंपारण में हरसिद्धि थाना के अंतर्गत सोनवर्षा का रहने वाला है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डबल बेंच ने प्रमोशन में आरक्षण के मामले में 2019 की राज्य सरकार के आदेश को पूरी तरह से निरस्त कर दिया है।
जिस कांग्रेस के भरोसे निशा बांगरे ने अपना करियर दांव पर लगाया उसी कांग्रेस ने एक हाथ बढ़ाकर दूसरे हाथ से उन्हें ठेंगा दिखा दिया और अब जबकि फुल ठगा हुआ महसूस कर रही हैं बांगरे मैडम तो उन्हें वापस नौकरी चाहिए।
देश में आजादी के बाद राजशाही तो नहीं रही, लेकिन राजघरानों का दबदबा सामाजिक तौर के साथ-साथ राजनीतिक तौर पर भी कायम है। लोकसभा चुनाव 2024 में ही उत्तर से लेकर दक्षिण तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक बीजेपी और कांग्रेस के टिकट पर राजे रजवाड़ों के वारिस चुनाव में ताल ठोक रहे हैं।
सुशासन बाबू यानी नीतीश कुमार पलटी मार आरजेडी का साथ छोड़ बीजेपी के साथ हो लिए हैं। नीतीश कुमार राजनीति की इंजीनियरिंग बखूबी जानते हैं। इसके बाद सवाल ये है कि क्या वे बीजेपी के लिए जरूरी हैं या फिर मजबूरी बन गए हैं। या फिर नीतीश खुद मोदी-शाह की राजनीति में फंस गए हैं।
बीजेपी सत्ताधारी दल है। लिहाजा उसके प्रिस्क्रिप्शन यानि वही संकल्प पत्र जिसपर सबकी निगाहें खास तौर पर होती है, वो तैयार है और इसका उनवान (शीर्षक) है भाजपा का संकल्प मोदी की गारंटी।