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पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक करें मधुसूदन स्नान, नहाते समय जरूर करें इस मंत्र का जाप

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Paush Purnima Madhusudan Snan: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का काफी महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा की जाती है।

वैसे तो सालभर की सभी पूर्णिमा तिथि खास है लेकिन इस बार की पौष पूर्णिमा का दिन बेहद खास है क्योंकि इसी दिन से महाकुंभ (Mahakumbh 2025) शुरू हो रहा है।

इसी के साथ माघ पूर्णिमा तक चलने वाले मधुसूदन स्नान का प्रारंभ भी पौष पूर्णिमा से होगा।

शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पौष पूर्णिमा कहलाती है। इस साल ये 13 जनवरी, सोमवार को है।

आइए जानते हैं पौष पूर्णिमा की तिथि, महत्व और मधुसूदन स्नान की परंपरा के बारे में।

पौष पूर्णिमा का महत्व (Paush Purnima 2025)

पौष मास की पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा अपने पूर्ण स्वरूप में होता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है।

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इस दिन गंगा स्नान करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पौष पूर्णिमा के दिन शाकम्भरी जयन्ती भी मनायी जाती है।

पौष पूर्णिमा के दिन शुरू होगा महाकुंभ

पौष पूर्णिमा के साथ ही प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत होगी जो शिवरात्रि तक चलेगा।

पौष पूर्णिमा 2025 मुहूर्त

पौष पूर्णिमा तिथि 13 जनवरी 2025 को सुबह 05.03 बजे शुरू होगी,
तिथि का समापन 14 जनवरी 2025 को सुबह 03.56 बजे होगा।
उदयातिथि के अनुसार 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा मनाई जाएगी।

स्नान-दान मुहूर्त – सुबह 5.27 – सुबह 6.21
सत्यनारायण पूजा – सुबह 9.53 – सुबह 11.11
चंद्रोदय समय – शाम 05.04
लक्ष्मी पूजा – प्रात: 12.03 – प्रात: 12.57

क्यों कहते हैं मधुसूदन स्नान (What is Madhusudan Snan)

मान्यता है की पौष पूर्णिमा से लेकर माघ पूर्णिमा तक गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में भगवान विष्णु के मधुसूदन नाम का जाप करते हुए स्नान करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।

इसलिए इस स्नान का नाम मधुसूदन स्नान पड़ा।

एक अन्य मान्यता यह भी है मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के पावन दिन श्री हरि विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं।

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कैसे मिला विष्णु जी को मधुसूदन नाम

श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में जब विष्णु जी योगनिद्रा में लीन थे तो उनकी कमल की नाभि से ब्रह्मा जी प्रकट हुए थे।

इसी के साथ मधु और कैटभ नाम के दो राक्षस भी नारायण के कानों से प्रकट हुए। दोनों राक्षसों ने ब्रह्मा जी को मारने का प्रयास किया।

तब ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु को जगाने के लिए देवी महामाया से प्रार्थना की।

इसके बाद योगनिद्रा से बाहर आकर नारायण ने दोनों राक्षसों मधु-कैटभ का वध किया।

मधु का वध करने की वजह से भगवान विष्णु को मधुसूदन नाम प्राप्त हुआ।

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मधुसूदन स्नान कैसे करें?

  • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और नियम से पूजा करें।
  • कहते हैं अगर पौष पूर्णिमा से लेकर माघ पूर्णिमा तक आप ये स्नान करते हैं तो इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • साथ ही व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • अगर आप नदी में स्नान नहीं कर सकते तो घर में रहते हुए भी मधुसूदन स्नान का संकल्प ले सकते हैं।
Maha Kumbh Shahi Snan 2025
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नहाते समय करें इस मंत्र का जाप

स्नान के दौरान इस मंत्र का जाप जरूर करें

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय या फिर गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।”

कहते हैं नहाते समय इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को पवित्र नदी में नहाने का पुण्य मिलता है और पापों से मुक्ति मिलती है।

स्नान के बाद भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करने के बाद जरुरतमंदों को अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़, और धन का दान करें।

इस दिन सात्विक भोजन करें और संयमित जीवन जीने का संकल्प लें।

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