Wife Left Husband: सूर्यवंशम का हीरा ठाकुर याद है आपको, कैसे भूल सकते हैं क्योंकि ये फिल्मी पात्र बड़े परदे से लेकर टीवी स्क्रीन पर खूब देखा गया और दिखाया गया।
और अब हम आपको बताने जा रहे हैं असल जिंदगी के हीरा ठाकुर की कहानी जिसे देखकर आपको तरस आएगा और शायद गुस्सा भी आए।
बात झांसी के नीरज विश्वकर्मा की जिसने खुद जमाने की ठोकरें खाईं, लेकिन अपने प्यार को तन, मन और धन से सींचा।
लेकिन, अफसोस जिस प्यार के संग उसने सात फेरे लिए। जिस माशूका को वो रानी बनाकर झांसी लाया वो उसे ही झांसा दे गई।
पूरा मामला सुनेंगे तो आप चौंक जाएंगे। प्रेम विवाह का ये मामला झांसी के रहने वाले नीरज विश्वकर्मा और उसकी पत्नी रिचा सोनी का है जो अब लेखपाल बन चुकी है।
ढाई साल के इश्क, ढाई साल की शादी और उसके बाद जो इन दोनों के बीच हुआ (Wife Left Husband) वो पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया।
रिचा और नीरज के बीच सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन जैसे ही रिचा लेखपाल बन ओहदेदार हुई, नीरज के जीवन में भूचाल आ गया।
अपॉइंटमेंट लेटर आते ही फौरन से पेश्तर रिचा बदल गई और नीरज को टाटा बाय-बाय कह चलती बनी क्योंकि अब उसे गरीब पति नहीं अपने जैसा ओहदेदार चाहिए।
प्यार में अपना सबकुछ लुटा-पिटा के बैठे नीरज की बात आप सुनेंगे तो पाएंगे कि धोखे खाकर वो बिखर सा गया है, टूट सा गया है।
अपने प्यार और शादी को बचाने वो अब हर उस चौखट पर जा रहा है जहां उसे न्याय मिलने की आस है।
रिचा के तेवर समाज के बिगड़ते ताने-बाने की मिसाल है जहां करियर, ओहदा और रसूख आते ही लड़कियां विवाह जैसे पवित्र रिश्ते को भी ठोकर मार रही हैं।
यह पहला मामला (Wife Left Husband) देश में नहीं है जहां ऊंचा ओहदा मिलते ही अपने से कमतर कमाने वाले पति को शादीशुदा महिलाओं ने कहीं का नहीं छोड़ा।
इस मामले में भी नीरज का इतना ही कसूर था कि वो पेशे से कारपेंटर है और अपनी मेहनत मशक्कत की कमाई से उसने रिचा को पढ़ाया-लिखाया।
उसकी हर ख्वाहिश पूरी की और जब रिचा लेखपाल बनी तो यही नीरज उसे मखमल में टाट के पैबंद सा खटकने लगा।
और हैरत की बात ये कि रिचा को जैसे ही लेखपाल पद का अपॉइंटमेंट लेटर मिला उसने उसी वक्त नीरज से किनारा कर लिया।
और तो और रिचा के पिता भी कहते हैं कि रिचा की शादी ही नहीं हुई जबकि नीरज ने जो वीडियो जारी किया है उसमें रिचा और नीरज अग्नि को साक्षी मानकर विवाह के बंधन में बंधते दिखाई दे रहे हैं।
चार दशक पहले एक फिल्म आई थी अर्पण और उसका एक गीत बेहद मकबूल हुआ था। आपने भी सुना होगा वो गीत – ‘मोहब्बत अब तिजारत बन गई है…’।
गीतकार ने सोचा भी ना होगा कि उसकी कलम से निकले अलफाज एक दिन हकीकत भी बन जाएंगे।
हकीकत है ये कि महिलाओं के लिए ढेरों कानून हैं, उनकी सुनी जाती है, उनके प्रति विशेष सहानुभूति रखी जाती है, लेकिन नीरज जैसे पुरूषों का क्या जो अपनी पत्नी की ख्वाहिशों को पूरा करने सबकुछ न्यौछावर कर देते हैं।
उन्हें गुमान भी नहीं होता कि जिन्हें वो सबला बना रहे हैं वो बला कि चालाक, मतलबपरस्त और इंतिहाई बेवफा निकलेंगी।
खैर तस्दीक और तफ्तीश का सिलसिला जारी है। देखते हैं इस मामले में आगे क्या होता है।