Vijaypur Victory Plan: लोकसभा चुनाव में बंपर जीत और प्रदेश के पहले उपचुनाव में जीत का परचम लहराने वाली बीजेपी अब विजयपुर का किला फतह करने की तैयारी में है।
कांग्रेस ने भी विजयपुर जीत के लिए जतन करना शुरू कर दिए हैं।
रामनिवास रावत के बीजेपी में शामिल होने के बाद विजयपुर सीट खाली हुई है।
रावत बीजेपी में शामिल क्या हुए उन्हें मंत्रीपद से नवाजा गया।
अब रावत एक बार फिर बीजेपी के झंडे तले विजयपुर में विजय पताका फहराने लोगों से जनसंपर्क में जुट गए हैं।
समर्थकों में ऊर्जा भर रहे हैं। कुल मिलाकर किलेबंदी का सिलसिला शुरू हो गया है।
दूसरी तरफ, कांग्रेस ने प्रत्याशी चयन से लेकर चुनावी रणनीति पर चिंतन-मंथन शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शनिवार को विजयपुर का दौरा किया तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी कार्यकर्ताओं से मुलाकात के लिए विजयपुर पहुंचे।
देखा जाए तो मध्य प्रदेश में बीजेपी (Vijaypur Victory Plan) अपनी हालिया जीत के आत्मविश्वास से लबरेज है तो कांग्रेस विजयपुर में अपनी खोई जमीन हासिल करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी।
लेकिन, बात घूम-फिरकर वहीं आ जाती है कि जिस तरह का प्रभाव रामनिवास रावत का विजयपुर में है उसे देखते हुए उनके मुकाबिल किसे मैदान में उतारा जाए, कांग्रेस के लिए तय करना कठिन है।
दूसरा जनता के बीच जाने के लिए वो कौन से मुद्दे होंगे जिनके बिना पर कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ माहौल विजयपुर में बनाएगी।
बहरहाल चुनाव कार्यक्रम तय होने के बाद ही विजयपुर में असल घमासान देखने मिलेगा, लेकिन उसके पहले आइए समझते हैं विजयपुर का सियासी गणित…
- आदिवासी बाहुल्य सीट है विजयपुर
- 65 से 70 हजार आदिवासी वोटर हैं
- कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है विजयपुर सीट
- 2003 से 2013 तक रामनिवास रावत यहां से जीते
- 2018 में कांग्रेस को शिकस्त का सामना करना पड़ा
- 2018 में बीजेपी के सीताराम आदिवासी ने जीत दर्ज की
- 2023 में भी कांग्रेस के रामनिवास रावत जीते
- रामनिवास रावत अब पाला बदलकर बीजेपी के साथ हैं
- मीणा समाज का इस इलाके में खासा दबदबा है
- रावत, जाटव, धाकड़ और माली समाज का भी प्रभाव है
विजयपुर कांग्रेस का था ये सही है, लेकिन जिनकी बदौलत विजयपुर कांग्रेस का था वो रामनिवास रावत अब पाला बदलकर बीजेपी (Vijaypur Victory Plan) के साथ हैं।
ताजा मिसाल अमरवाड़ा है जहां भले ही कम अंतर से कमलेश शाह जीते, लेकिन बीजेपी ने कांग्रेस के किले में सेंध लगा ही दी।
इसका कारण कहीं ना कहीं कांग्रेस की कमजोर पकड़ और पुख्ता रणनीति ना बना पाना भी कारण है।
हालांकि, ये सही है कि कांग्रेस के धीरेन शाह ने कड़ी टक्कर देकर अपना दमखम दिखा दिखाया है।
बहरहाल अब कांग्रेस पिछली गलतियों को सुधारकर विजयपुर में अपनी ताकत लगाती है और सही कैंडिडेट को चुनाव में उतारती है तो निश्चित ही बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है।
हालांकि, कांग्रेस रावत की बगावत का मुद्दा उठाकर रावत पर हमला बोलेगी ये भी तय है तो बीजेपी भी कांग्रेस की नाकामयाबियों का बखान करने में कोई कसर छोड़ने वाली नहीं है।
चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा के साथ जैसे-जैसे विजयपुर उपचुनाव का घमासान तेज होगा, दोनों ही दलों की नीति और रणनीति सामने आ ही जाएगी।
बाकी आगे-आगे देखिए होता है क्या…