केंद्र और राज्य दोनों ही जगह बीजेपी की सरकार है इसलिए वोटिंग प्रतिशत में इजाफे का फायदा उसे मिलता दिखाई दे रहा है। यदि इस बार 11 की 11 सीटों पर बीजेपी आ जाए तो आश्चर्य की बात नहीं होगी।
महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, विकास जैसे जनता के मुद्दे चुनाव से गायब हैं, लेकिन वो कहते हैं जनता सब जानती है और 4 जून को फैसला हो जाएगा कि इस बार राम नाम सत्य किसका होगा।
राजगढ़ में सबसे ज्यादा मतदान, वोटिंग % पर राजनीतिक पंड़ितों का अनुमान - अधिक मतदान विपक्ष की तरफ रुझान। तीसरे चरण की 6 सीटों पर बीजेपी आगे तो 3 सीटों पर कांग्रेस को बढ़त का अनुमान।
कमलनाथ की मौजूदगी कार्यकर्ताओं में जोश भरने और विरोधियों के माथे पर बल लाने के लिए काफी है। बावजूद इसके ऐन चुनाव के वक्त उनका नेपथ्य में चले जाना हजम नहीं हो रहा।
एक बार फिर से श्याम रंगीला वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर सुर्खियों में हैं, लेकिन कोई करामात दिखा पाएं ऐसा तो मुश्किल ही नजर आता है।
तीसरे चरण की वोटिंग से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात की रैली में एक तीन से दो निशाने साधे। उन्होंने कांग्रेस के बहाने पाकिस्तान पर भी हमला बोला।
चुनावी मौसम में बीजेपी और कांग्रेस बोरे बासी को लेकर आमने- सामने है। लोकसभा चुनाव के बीच बोरे बासी को भुनाने के लिए दोनों ही दल अपनी-अपनी कोशिशों में लगे हैं।
अब भाजपा के उम्मीदवार शंकर लालवानी के सामने कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी नहीं बचा है। सोमवार की सुबह अक्षय बम भाजपा विधायक रमेश मेंदोला के साथ फॉर्म वापस लेने आए थे।
बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग सुप्रीम कोर्ट में खारिज, EVM-VVPAT पर्ची का मिलान भी नहीं होगा; सुप्रीम कोर्ट बोला सिस्टम में दखल से बेवजह शक पैदा होगा।
त्रिपुरा में सबसे ज्यादा तकरीबन 79.66% तो उत्तर प्रदेश मे सबसे कम 54.85% के आसपास मतदान हुआ। वहीं, महाराष्ट्र में 59.63% और बिहार में 57.81% वोटिंग हुई। 2019 के आम चुनावों में इन सीटों पर 70.05% मतदान हुआ था।
पहले चरण के मतदान के पश्चात विंध्य-महाकौशल में कुछ ऐसे सवाल हवाओं में तैर रहे हैं। क्या यह कम वोटिंग बीजेपी के प्रतिकूल जाएगी? क्या इसके लिए कांग्रेस से बीजेपी में आई दलबदलुओं की भीड़ जिम्मेदार है? ये वोटिंग ट्रेंड किसके पक्ष में जाएगा? यही सबसे बड़ा सवाल है जो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
कुल जमा चुनाव में एक दूसरे को घेरने और तोहमत लगाकर वोटर्स को रिझाने का ये सिलसिला सियासत में नया नहीं है, लेकिन मोदी के हालिया बयान ने इस सियासत की रिवायत को नई हवा दे दिया है, कहना गलत नहीं होगा।
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