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एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन से ब्लड क्लोटिंग और हार्ट अटैक का खतरा, कंपनी ने यूके की कोर्ट में कबूला

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Manish Kumar
Manish Kumarhttps://chauthakhambha.com/
मनीष आधुनिक पत्रकारिता के इस डिजिटल माध्यम को अच्छी तरह समझते हैं। इसके पीछे उनका करीब 16 वर्ष का अनुभव ही वजह है। वे दैनिक भास्कर, नईदुनिया जैसे संस्थानों की वेबसाइट में काफ़ी समय तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं। देशगांव डॉट कॉम और न्यूज निब (शॉर्ट न्यूज ऐप) की मुख्य टीम का हिस्सा रहे। मनीष फैक्ट चैकिंग में निपुण हैं। वे गूगल न्यूज इनिशिएटिव व डाटालीड्स के संयुक्त कार्यक्रम फैक्टशाला के सर्टिफाइट फैक्ट चेकर व ट्रेनर हैं। भोपाल के माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर चुके मनीष मानते हैं कि गांव और शहर की खबरों को जोड़ने के लिए मीडिया में माध्यमों की लगातार ज़रूरत है।

नई दिल्ली। ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटिश हाईकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

हालांकि कंपनी ने दावा किया है कि ऐसा बहुत दुर्लभतम मामलों में ही होगा। बता दें कि एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई थी।

टेलीग्राफ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से कई लोगों की मौत हुई जबकि कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा है।

कंपनी के खिलाफ ब्रिटेन की हाईकोर्ट में 51 मामले चल रहे हैं और पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका से तकरीबन 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है।

ब्रिटिश मीडिया में छपी कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि यूके के हाईकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में कंपनी ने कबूला है कि उनकी कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है।

  • ब्रिटिश नागरिक जेमी स्कॉट ने दायर किया था मामला

अप्रैल 2021 में जेमी स्कॉट नामक शख्स ने एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन लगवाई थी जिसके बाद उनकी हालत खराब हो गई। शरीर में खून के थक्के बनने का सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ा।

इसके अलावा स्कॉट के ब्रेन में इंटर्नल ब्लीडिंग भी हुई। इतना ही नहीं, डॉक्टरों ने उनकी पत्नी से यहां तक कह दिया था कि वो स्कॉट को नहीं बचा पाएंगे।

  • कंपनी ने पहले नकारा, फिर माना

पिछले साल स्कॉट ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई कि इसके वैक्सीन की वजह से उनकी जान पर बन आई थी। मई 2023 में स्कॉट के आरोपों के जवाब में कंपनी ने दावा किया था कि उनकी वैक्सीन से TTS नहीं हो सकता है।

हालांकि, इस साल फरवरी में हाईकोर्ट में जमा किए कानूनी दस्तावेजों में वह इस दावे से पलट गई। इन दस्तावेजों की जानकारी अब सामने आई है।

  • एस्ट्राजेनेका का दावा – बचाई 60 लाख की जान

एस्ट्राजेनेका ने दावा किया है कि उन्होंने अप्रैल 2021 में ही प्रोडक्ट से जुड़ी जानकारी में कुछ मामलों में TTS के खतरे की बात शामिल की थी।

कंपनी का कहना है कि कई स्टडीज में यह साबित हुआ है कि कोरोना महामारी के दौरान एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन आने के बाद पहले साल में ही इससे करीब 60 लाख लोगों की जान बची।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी कहा था कि 18 साल या उससे ज्यादा की उम्र वाले लोगों के लिए यह वैक्सीन सुरक्षित और असरदार है।

ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसकी लॉन्चिंग के समय इसे ब्रिटिश साइंस के लिए एक बड़ी जीत बताया था।

  • ब्रिटेन में नहीं हो रही इस्तेमाल वैक्सीन

इस बीच, खास बात यह है कि एस्ट्रेजेनेका के इस वैक्सीन का इस्तेमाल अब ब्रिटेन में नहीं हो रहा है। टेलीग्राफ की रिपोर्ट की मानें तो बाजार में आने के कुछ महीनों बाद ही वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन के खतरे को भांप लिया था।

उन्होंने यह सुझाव दिया गया था कि 40 साल से कम उम्र के लोगों को दूसरी किसी वैक्सीन का भी डोज दिया जाए, ऐसा इसलिए क्योंकि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से होने वाले नुकसान कोरोना के खतरे से ज्यादा थे।

कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन के जरिये हासिल किए गए आंकड़ों के मुताबिक ब्रिटेन में फरवरी में 163 लोगों को सरकारों ने मुआवजा दिया था जिनमें से 158 ऐसे थे, जिन्होंने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगाई थी।

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