कड़ी गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है, इसके साथ ही कई राज्यों में हीटवेव (लू) का अलर्ट भी जारी कर दिया गया है। क्योंकि हर साल गर्मी में लू लगने से कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं। हर कोई गर्मी से बचना चाहता है लेकिन नौकरीपेशा और घर से बाहर काम करने वाले लोगों को इस भयानक मौसम में भी बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में लू से कैसे बचें और लू लगने पर क्या करें, ये सब जानना बहुत जरूरी है। इस आर्टिकल में हमको बताएंगे कि कैसे कुछ बातों का ध्यान रखकर आप गर्मी में लू से बच सकते हैं।
क्या है लू –
हर साल गर्मी में मई से मध्य जुलाई तक उत्तरी भारत में उत्तर-पूर्व तथा पश्चिम से पूरब दिशा में प्रचण्ड उष्ण तथा शुष्क हवा चलती है, जिसे लू कहतें हैं । इस समय का तापमान 40 -45 सेंटीग्रेड से तक होता है । गर्मियों के मौसम में हर कोई इन गर्म हवाओं से बचना चाहता है, लू लगना गर्मी के मौसम की बीमारी है।
कैसे लगती है लू –
मानव शरीर की संरचना ऐसी है कि बाहर का तापमान भले ही कैसा हो लेकिन शरीर का तापमान हमेशा 37 डिग्री सेंटीग्रेड ही बना रहता है। लेकिन गर्मी में जब हम बाहर निकलते हैं, तब तेज धूप और गर्म हवा शरीर की बाहरी त्वचा को अत्यधिक गर्म कर देती है जिससे हम लू के चपेट में आ जाते है। काफी गर्मी के कारण रक्त नलिकाएं चौड़ी हो जाती है जिससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है और शरीर के अन्दर से पानी पसीना के रूप में निकलता है, जिसके कारण अन्दर खून गर्म हो जाता है । बढ़ा हुआ ब्लड सर्कुलेशन और गर्म खून शरीर के अंदर के तापमान को भी बढ़ा देता है, इसे ही लू लगना कहते हैं।
इस दौरान सिर में भारीपन मालूम होने लगता है, नाड़ी की गति बढ़ने लगती है, खून की गति भी तेज हो जाती है। सांस की गति भी ठीक नहीं रहती और शरीर में ऐंठन-सी लगती है। बुखार काफी बढ़ जाता है। हाथ और पैरों के तलुओं में जलन-सी होती है। आंखें भी जलती हैं। इससे अचानक बेहोशी सी छा जाती है और सही समय पर इलाज न होने से रोगी की मौत भी हो सकती है।
लू के लक्षण
-बार-बार प्यास लगना, गला सूखना ।
-चेहरा लाल होना, सिर दर्द , जी मिचलाना और उल्टियां होना ।
-अधिक तापमान के कारण बेहोश हो जाना ।
-नाड़ी की गति अधिक बढ़ जाने से रोगी के शरीर का तापमान 101-104 तक हो जाना ।
-बैचेनी होना ।
लू लगने पर क्या करें
-लू का सबसे अच्छा इलाज है शरीर के तापमान को कम करना। ‘लू’ से पीड़ित व्यक्ति को ऐसी जगह लिटा दें, जहां ठंडक हो और खुली-साफ हवा मिले।
-लू लग जाए तो नजदीकी अस्पताल से फौरन प्राथमिक उपचार कराये।
-लू लगाने पर रोगी को जीवन रक्षक घोल (नमक, शक्कर, नींबू के रस का घोल) समय -समय पर पिलाते रहे ।
-लू लगने पर ठंडे पानी से शरीर पर स्पंज करें, माथे पर बर्फ की पट्टी रखें।
-लू लगने पर पकी हुई इमली के गूदे को हाथ और पैरों के तलवों पर मलने से लू का असर मिटता है। इमली का पानी पीने से लू तुरंत उतरती है।
-दही एवं मौसमी फल जैसे संतरा, अंगूर, तरबूज, मौसम्मी का रस लू ग्रस्त रोगी को पीने को दें।
-पुदीने का शर्बत भी लू लगने पर फायदेमंद है।
-रोगी को तरल पदार्थ ही दें।
-लू लगने पर प्याज पका कर उसमें भुना जीरा, चीनी और गाय का घी मिलाकर रोगी को दें। काफी आराम मिलेगा।
लू से बचने के उपाय
-खीरा और ककड़ी का सेवन करे,गर्मियों के मौसम में खीरा ककड़ी खाने से शरीर ठंडा रहता है। जिससे लू का असर नहीं होता।
-बेल, आम, नीबू के शरबत का सेवन करें, गर्मियों में बेल, आम और नीबू के शरबत हमारे शरीर में पानी के स्तर को बनाये रखते है, जिससे काफी हद तक लू से बचने में मदद मिलती है ।
-गर्मी के मौसम में कभी-कभी सिर, पैर एवं हाथों में मेहंदी के लगाने से ‘लू’ का असर कम होता है।
-धूप में खाली पेट न निकले, नींबू की शिकंजी या छाछ का सेवन करें।
-जितना हो सके अधिक से अधिक पानी का सेवन करे ।
-धूप में कम निकले और अगर निकलना हो तो शरीर पूरी तरह से ढक कर रखे।
क्या खाएं, क्या पिएं-
-नींबू पानी भरपूर मात्रा में लें।
-नमक, चीनी एवं विटामिन- सी (नींबू का रस) का जीवन रक्षक घोल लें।
-शाम को तले हुए पदार्थ या मिर्च मसालेदार खाने का सेवन न करें।
-हल्का भोजन लें, मगर ज्यादा देर खाली पेट न रहे।
-शराब का ज्यादा सेवन ना करे ।
-भोजन में प्याज, पुदीना, सलाद और कच्चे आम की फांक अधिक लें।
इन्हे भी ध्यान में रखे –
अगर आप ए.सी. या कूलर के आगे बैठे हैं तो कभी भी एक दम से धूप या हवा में न जाए। एसी में रहने पर रक्त नलिकाएं सिकुड़ी रहती हैं। एसी से अचानक बाहर सीधे धूप में जाने से शरीर का तापमान बदल जाता है। जिससे सिकुड़ी हुई रक्त नलिकाएं अचानक फैलने लगती हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इस स्थिति में कोई भी लू के चपेट में आ सकता है । इससे बचने का सरल तरीका है कि एसी से बाहर आने के बाद कुछ पल के लिए किसी छायादार स्थान पर रहकर शरीर के तापमान को सामान्य कर लिया जाए।
इसी तरह कभी भी गर्मी में बाहर से आने के बाद तुरंत कूलर या एसी के सामने न बैठे और न हीं ठंडा पानी पिए। इससे शरीर का तापमान बदल सकता है। कुछ देर रुककर ही ठंडा पानी पिएं और ठंडी हवा में बैठे।